भारतीय रेलवे की Pantry car में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है। भारतीय रेल विश्व की चौथी सबसे बड़ी रेलवे प्रणाली है, जो हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाती है। यह न केवल देश की आर्थिक धड़कन है, बल्कि आम आदमी की जीवन रेखा भी है। लेकिन इस विशाल व्यवस्था के भीतर कई जगह भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें जमा ली हैं, जिनमें से एक है रेलगाड़ियों की Pantry car। यात्रियों को खाना और पेय पदार्थ उपलब्ध कराने वाली यह सेवा अब भ्रष्टाचार, लापरवाही और अव्यवस्था का प्रतीक बनती जा रही है।
Pantry car की भूमिका
Pantry car का उद्देश्य रेल यात्रा के दौरान यात्रियों को स्वच्छ, पोषणयुक्त और समय पर भोजन उपलब्ध कराना है। विशेष रूप से लंबी दूरी की ट्रेनों में पेंट्री कार अत्यंत आवश्यक होती है, क्योंकि यात्रियों के पास बाहर जाकर भोजन खरीदने का विकल्प नहीं होता। लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है।
Pantry car में भ्रष्टाचार के प्रकार
Pantry car में होने वाले भ्रष्टाचार के कई रूप सामने आते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
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घटिया गुणवत्ता का भोजन: यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता अक्सर अत्यंत खराब होती है। खाने में बाल, कीड़े, बासी सामग्री, या अधपका भोजन मिलने की शिकायतें आम हो गई हैं। कई बार खाना तय मानकों से बहुत नीचे स्तर का होता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
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ओवरचार्जिंग: बहुत से यात्रियों को निर्धारित कीमत से अधिक पैसा वसूला जाता है। पैंट्री स्टाफ कई बार बिल नहीं देते या नकली रसीद जारी करते हैं। चाय, पानी की बोतल या खाना तय रेट से 10-50% अधिक दर पर बेचा जाता है।
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ब्लैक मार्केटिंग और निजी विक्रेताओं की मिलीभगत: कई बार पैंट्री कार का स्टाफ बाहर से आए निजी विक्रेताओं को अंदर घुसने की अनुमति देता है, जो बिना किसी अनुमति के सामान बेचते हैं। इसके बदले में पैंट्री कर्मचारियों को कमीशन दिया जाता है।
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सप्लायर और अधिकारियों की मिलीभगत: पैंट्री संचालन ठेके पर आधारित होता है, और ठेकेदारों की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार की आशंका बनी रहती है। गुणवत्ता परीक्षण के नाम पर केवल कागज़ी खानापूर्ति होती है। अधिकारी जानबूझ कर आंख मूंद लेते हैं क्योंकि उन्हें भी इसका हिस्सा मिलता है।
यात्रियों की प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया और उपभोक्ता फोरम्स पर रोजाना हजारों शिकायतें सामने आती हैं, जिनमें यात्री खराब भोजन, घटिया सेवा और अधिक मूल्य वसूले जाने की जानकारी साझा करते हैं। कई यात्रियों ने यह भी बताया है कि जब वे विरोध करते हैं, तो पैंट्री स्टाफ बदतमीजी करने लगता है या सेवा देना बंद कर देता है।
सरकार और रेलवे की भूमिका
भारतीय रेलवे समय-समय पर निरीक्षण और जांच के निर्देश जारी करता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसका प्रभाव बहुत सीमित रहता है। रेलवे बोर्ड और IRCTC ने कई बार वेंडरों को ब्लैकलिस्ट किया है, लेकिन समस्या की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कम ही होती है।
कुछ प्रमुख सुधारात्मक उपायों में शामिल हैं:
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ई-कैटरिंग सेवा का विस्तार: यात्रियों को स्विगी, जोमैटो आदि से खाना ऑर्डर करने की सुविधा मिली है, जिससे पैंट्री कार की निर्भरता घट सकती है।
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क्यूआर कोड आधारित बिलिंग सिस्टम: रेलवे ने कुछ ट्रेनों में डिजिटल बिलिंग लागू की है ताकि ओवरचार्जिंग को रोका जा सके।
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सीसीटीवी निगरानी: कई ट्रेनों में पैंट्री कार में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिससे निगरानी बेहतर हो सके।
समाधान और सुझाव
यदि Pantry car में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना है, तो निम्नलिखित कदम अनिवार्य हैं:
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सख्त निरीक्षण और नियमित ऑडिट: खाने की गुणवत्ता, रसीद की जांच, और स्टाफ के व्यवहार की निगरानी नियमित रूप से होनी चाहिए।
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यात्रियों की सक्रिय भागीदारी: यात्री किसी भी अनियमितता की शिकायत “रेल मदद”, “रेलवे सुरक्षा हेल्पलाइन” या ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर करें।
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स्वचालित प्रणाली का प्रयोग: तकनीक के माध्यम से सभी बिलिंग, वेंडर चयन, और सप्लाई चैन की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।
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ठेकेदारी व्यवस्था की समीक्षा: बड़े ठेकेदारों को बार-बार ठेका देने के बजाय स्थानीय और प्रमाणित वेंडरों को मौका दिया जाए।
निष्कर्ष
भारतीय रेलवे की Pantry car में व्याप्त भ्रष्टाचार एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक समस्या है। यात्रियों की सेहत, अनुभव और भरोसे को बनाए रखने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और आधुनिक तकनीक का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। रेलवे को इस दिशा में और अधिक कठोर एवं परिणामकारक कदम उठाने होंगे ताकि ‘रेल यात्रा’ को वास्तव में सुखद और सुरक्षित बनाया जा सके।